मंत्री अशोक चौधरी और जनक राम के मनोनयन को चुनौती देने वाली याचिका पटना हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए मंजूर कर ली गई है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा न्यायमूर्ति एस. कुमार की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की।वेटरन फोरम की ओर से दायर याचिका में मनोनयन को चुनौती दी गई है। आवेदक की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार, रितिका रानी, रितुराज ने बताया कि इन्होंने एमएलसी पद पर मनोनयन के समय स्वयं के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी थी। राज्यपाल द्वारा मनोनयन के समय मंत्री होने की जानकारी नहीं दी गई थी।
संविधान के अनुच्छेद 171 के तहत इन्हें जानकारी देनी थी। राज्यपाल कोटे से बारह पद पर कला, इंजीनियरिंग आदि क्षेत्र के विशेषज्ञों का मनोनयन होता है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी 12 अन्य विधान पार्षदों के मनोनयन को चुनौती दी गई थी। बसंत कुमार चौधरी द्वारा इस संबंध में याचिका दायर की गई थी। इस मामले की सुनवाई अभी हाईकोर्ट में चल रही है।
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