December 22, 2024

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LOHRI 2024 DATE

Lohri 2024 Date : कब है लोहड़ी का पर्व 13 या 14 जनवरी, लोहड़ी का पर्व जाने कैसे और कब मनाया जाता है यह पर्व|
लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है और इस दिन से माघ मास शुरुआत भी हो जाती है| लोहड़ी के दिन अग्नि जलाकर परिवार के सभी सदस्य परिक्रमा करते है और अग्नि को रवि की फसल भेंट किया जाती है| साथ ही परिवार के रिश्तेदार और प्रियजनो को इस पर्व की बधाई देते है ,और ताल से ताल मिला कर नृत्य करते है
सिखो और पंजाबियो के लिए लोहड़ी खास मायने रखती है| इस त्योहार की तैयारियां कुछ दिन पहले से शुरू हो जाती है| लोहड़ी के बाद से ही दिन बड़े होने लगते है, यानी माघ मास शुरू हो जाता है|यह त्योहार पुरे विश्व में मनाया जाता है| हालाकि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में ये त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है लोहड़ी की रात को सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते है जिसके बाद अगले दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है|
बहन बेटियों को बुलाया जाता है :
पंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव खास महत्व रखता है| घर में नई शादी हुयी हो या बच्चे की जन्म हुआ हो , उन्हें विशेष तौर पर लोहड़ी की बधाई दी जाती है|
घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी का काफी महत्व होता है| इस दिन विवाहित बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है| ये त्योहार बहन बेटियों की रक्षा और सम्मान के लिए भी मनाया जाता है वक्त के साथ एक खूबसूरत चीज देखने को मिली है कि परिवार वाले अब पहली लड़की के जन्म पर भी काफी धूमधाम से लोहड़ी मानते है|
कब मनाया जाएगा लोहड़ी का पर्व?
मकर संक्रंति से एक दिन पहले लोहड़ी मनाया जाता है सूर्य मकर राशि में 15 जनवरी को सुबह 2 बजकर 43 मिनट पर में प्रवेश करेंगे इसलिए उदया तिथि को मानते हुए मकर संक्रंति का पर्व 15 जनवरी है दिन सोमवार को मनाया जायेगा|वही मकर संक्रंति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है इसलिए लोहड़ी का पर्व 14 जनवरी दिन रविवार को मनाया जाएगा|लोहड़ी का पर्व सूर्यदेव और अग्नि देव को समर्पित है|
नई फसल से जुड़ा है यह पर्व
पारंपरिक तौर पर लोहड़ी का पर्व नई फसल की बुआई और पुरानी फसल की कटाई से जुड़ा हुआ है | इस दिन से ही किसान अपनी नई फसल की कटाई शुरू करते है और सबसे पहले भोग अग्नि देव को लगया जाता है|अच्छी फसल की कामना करते हुए ईश्वर का आभार व्यक्त किया जाता है | लोहड़ी के अग्नि में रवि की फसल जैसे मुगफली, गुड़ तिल आदि चीजे ही अर्पित की जाती है|साथ ही सूर्यदेव और अग्नि देव का आभार व्यक्त किया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि जैसे कृपा आपने इस फसल पर बरसाई है उसी तरह अगले साल भी फसल की अच्छी पैदावार हो |