स्कूलों में बच्चों के लिए ‘लेट्स टॉक’ और ‘हैप्पीनेस जोन’ बनेगा। इसमें बच्चे खुलकर अपनी बात व भावनाओं को रख सकेंगे। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर यह निर्णय लिया गया है। बिहार शिक्षा परियोजना इसकी मॉनिटरिंग करेगा। इस संबंध में राज्य के सभी जिलों को निर्देश दिया गया है। निजी स्कूलों में भी इसे सख्ती से लागू करने को कहा गया है। राज्य परियोजना निदेशक श्रीकांत शास्त्री ने डीईओ के साथ डीपीओ समग्र शिक्षा अभियान को यह निर्देश दिया है। लेट्स टॉक और हैप्पीनेस जोन सरकारी स्कूलों के साथ ही निजी स्कूलों में भी बनाया जाना है। कोविड 19 के नकारात्मक प्रभाव से बचाने को लेकर यह पहल की गई है। 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर इसकी शुरुआत कर देनी है। निदेशक ने निर्देश दिया है कि इससे पहले शिक्षा मंत्रालय की ओर से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ही मनोदर्पण का गठन किया गया है। इसके माध्यम से बच्चों की काउंसिलिंग भी कराई जाती है। लेकिन, अब स्कूल स्तर पर इसमें काम होगा। सभी स्कूल को निर्देश दिया गया है कि इससे संबंधित सभी रिपोर्ट हर महीने मनोदर्पण के माध्यम से साझा करेंगे|
बच्चों के व्यवहार में बदलाव आने पर रखेंगे विशेष नजर
सभी स्कूल प्रबंधन स्कूल परिसर में लेट्स टॉक और हैप्पीनेस जोन बनाएंगे, जहां बच्चे अपने मन की बात रख सकेंगे। इसमें शिक्षकों की एक टीम रहेगी जो बच्चों से मन की बात जानने का प्रयास करेगी। स्कूल खुलने के बाद अगर किसी बच्चे के व्यवहार में पहले की अपेक्षा कोई बदलाव नजर आता है तो उस पर यह टीम विशेष नजर रखेगी। साथ ही बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार कर उससे इस बारे में जानने की कोशिश करेगी। हर विषय के शिक्षक अपने पाठ से मानसिक स्वास्थ्य कल्याण से संबंधित चीजों को सामने लाते हुए बच्चों के साथ साझा करेंगे। इसके साथ ही नकारात्मक व्यवहार किस तरह नुकसानदायक है, इसके लिए बच्चों से प्ले कराएंगे।
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