दिनांक 8 मार्च को इंटरनेशनल वूमेंस डे के उपलक्ष में हम आपको महिलाओं को दी जाने वाली विशेष कानूनी अधिकार के बारे में बता रहे हैं ,अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सारी महिलाओं को यह जानना बहुत जरूरी है, कि उन्हें अपने इस भारत देश में अभी तक कौन-कौन से महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराधिक कानून के अपराधों के लिए दंड का प्रावधान किया गया है.
जैसे कि धारा 354 ए के अंतर्गत यौन उत्पीड़न, उसके कपड़े उतारने के इरादे से हमला धारा 354 बी, या उसके शील भंग करने के लिए धारा 354 बी, या उसके मर्यादा भंग करने के लिए धारा 354 दृश्य, रति कथा धारा 35 4c पीछा करना, धारा 354 डी आदि माने जाते हैं .गरिमा और शालीनता का अधिकार मर्यादा और शालीनता महिलाओं के निजी रत्न है.जो कोई भी इसे छीनने की या भंग करने की कोशिश करता है, उसे समाज में पापी माना जाता है,और हमारा कानून वह संविधान उसे बहुत अच्छी तरह से इसकी सजा देता है.
महिलाओं को कार्यस्थल उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार है यदि आपके कार्यस्थल पर कोई व्यक्ति आपसे गलत व्यवहार करता है आपको देखकर यौन रूप से रंगीन टिप्पणी या सीटी बजाता है. या आपको देखकर अश्लील गाने गाता है. अनुचित रुप से आपको स्पर्श करता है, तो या यौन उत्पीड़न होगा जिससे नियुक्त आ द्वारा प्रत्येक कार्यालय या शाखा में 10 या अधिक कर्मचारियों के साथ गठित करना आवश्यक है .जिलाधिकारियों को प्रत्येक जिले में एक निजी शिकायत समिति का गठन करना भी आवश्यक है. और यदि आवश्यक हो तो ब्लॉक स्तर पर इसके अलावा आईपीसी भी 354a के तहत यौन उत्पीड़न पर 1 से 3 साल के सजा का प्रावधान करता है .
घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार- सन 2005 में घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के आधार पर हर महिला घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार की हकदार है.इसके साथ ही साथ घरेलू हिंसा में ना केवल शारीरिक शोषण बल्कि मानसिक व यौन और आर्थिक शोषण भी शामिल है, यदि क यह अधिकार सेक्शन 498 के अंतर्गत दिया गया है, इसके अलावा किसी महिला को गिरफ्तार करने के लिए महिला पुलिस कर्मी का पुलिस के साथ आना अनिवार्य है. साथ ही साथ कानून में यह भी कहा गया है, कि पुलिस किसी महिला से उसके आवास पर केवल महिला कांस्टेबल और परिवार के सदस्यों भैया दोस्तों की मौजूदगी में ही पूछताछ करेगी |पीछा किए जाने के खिलाफ अधिकार- अगर कोई व्यक्ति महिला की इच्छा के विरुद्ध उसका पीछा करता है. उसे बार-बार व्यक्तिगत बातचीत को बढ़ावा देने के लिए उससे संपर्क करने की कोशिश करता है या इंटरनेट ईमेल या किसी अन्य प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किसी महिला द्वारा उपयोग की निगरानी रखता है तो धारा आईपीसी के 354d के अंतर्गत उस व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाता है.
जीरो एफ आई आर – जीरो एफ आई आर का अधिकार एक प्राथमिकी जो कि किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई हो चाहे वह घटना किसी भी स्थान पर हो या फिर किसी विशिष्ट क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आते हैं जीरो एफ आई आर को बाद में उस पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित किया जा सकता है जिसके अंतर्गत निजी क्षेत्र में मामला आता है और यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित का समय बचाने और अपराधी को बच निकलने से रोकने के लिए पारित किया है.
More Stories
बिहार मे एम एल सी चुनाव मे भा ज पा का जीतना हुआ तय
एमएलसी प्रत्याशी रईस खान पर जान लेवा हमला :सिवान
लालू यादव की जमानत के के लिए अदालत याचिका तैयार