पटना,
तेजस्वी ने मुख्यमंत्री की मंगलवार को हुई शराबबंदी की समीक्षा से पहले मुख्यमंत्री से 15 सवाल पूछे। पूछा कि छह वर्षों में शराब के कितने तस्कर, माफिया और अधिकारी जेल भेजे गए हैं। कितने डीएसपी-एसपी बर्खास्त हुए। सिर्फ सिपाही निलंबित किए जाते हैं। जबकि शराब पीने के आरोप में दलित और कमजोर वर्ग के लाखों लोग जेल में डाल दिए गए हैं। सरकार शराब माफियाओं के खिलाफ अदालत में साक्ष्य नहीं दे पाती है।
सत्तारूढ़ दल के नेता पीते हैं शराब
विपक्ष के नेता ने आरोप लगाया कि शराबबंदी की शपथ लेने वाले अधिसंख्य अधिकारी और सत्तारूढ़ दल के नेता खुद शराब पीते हैं। सदन में साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद मंत्री रामसूरत राय और उनके भाई के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। हम शराबबंदी में सहयोग करते हैं। साक्ष्य देते हैं। कई जदयू नेताओं के भी साक्ष्य दिए गए। किसी पर कार्रवाई नहीं हुई। तेजस्वी ने कहा कि मुख्यमंत्री को जीतनराम मांझी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल सहित अन्य सांसदों की बातों पर भी गौर करना चाहिए। ये सब शराबबंदी की खामियां गिनाते हैं। सरकार उन पर अमल नहीं करती है। उन्होंने पूछा कि 15 दिनों में विभिन्न जिलों में जहरीली शराब से हुई 65 मौतों का दोषी कौन है। शराबबंदी के बावजूद प्रदेश की सीमा के अलावा 4-5 जिलों की सीमा पार कर करोड़ों लीटर शराब गंतव्य स्थल तक कैसे पहुंचती है? विपक्ष के नेता ने कहा कि दिखावटी समीक्षा बैठक के बदले मुख्यमंत्री गहन चिंतन करें। खुले मन से प्रशासन की गलतियां स्वीकार करें। इसके बिना शराबबंदी कारगर नहीं होगी।
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