बाढ़ की तबाही के बीच इंजीनियरों ने बिहार में कई बांधों को टूटने से बचाकर हजारों लोगों की जान बचाई है। इसके काम के लिए इंजीनियरों को अब सम्मान दिया जा रहा है। अभियंता दिवस पर जल संसाधन विभाग ने बिहार के दो दर्जन से अधिक इंजीनियरों को पुरस्कृत कर उनका मान बढ़ाया है। बिहार में बाढ़ की रोकथाम से लेकर सिंचाई के क्षेत्र में विशेष काम करने वाले इंजीनियरों ने चुनौतियों का सामना कर लोगों की जान बचाई है।
जल संसाधन विभाग में पहली बार वर्चुअल सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है। यह रिकॉर्ड बना है कि भारत रत्न डा. विश्वेश्वरैया के जन्म दिन पर मनाए जाने वाले अभियंता दिवस का पूरा आयोजन वर्चुअल हुआ है। जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के इंजीनियरों को सम्मानित किए। हालांकि इस दौरान सचिव संजीव हंस सहित कई बड़े पदाधिकारी सिंचाई भवन में भी मौजूद रहे। वर्चुअल समारोह में पूरे बिहार से लगभग 100 अभियंता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े।
जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा का कहना है कि बिहार का नेतृत्व एक इंजीनियर के हाथ में है। इंजीनियर से पूरा सिस्टम एक्टिव होता है। यह सौभाग्य है कि बिहार का नेतृत्व एक इंजीनियर लीडर के हाथ में है। बिहार में इंजीनियरों की फौज का मार्गदर्शन करते हुए सीएम ने पिछले 15 वर्षों में राज्य में सड़कों का जाल बिछा और पुल-पुलियों का निर्माण हुआ। बिहार में बाढ़ से बचाव और सिंचाई क्षमता में वृद्धि के लिए भी कुशल इंजीनियरों और उनकी तकनीक का बड़ा योगदान है। बिहार में इंजीनियर इंजीनियरिंग का शानदार उपयोग कर रहे हैं। बिहार में बाढ़ की विभीषिका में इसका परिणाम दिखा है।
बिहार में बाढ़ की विभीषिका में बांधों को टूटने से बचाना बड़ी चुनौती का काम रहा है। इंजीनियरो ने इस चुनौती को काफी दिमाग से लिया और पूरा कर दिखा दिया है। आपदा में तटबंधों की नियमित रूप से निगरानी का काम चुनौती वाला था। अफसरों का कहना है कि कोरोना के दौरान जब लोग अपने घरों में थे, तब इंजीनियर तटबंधों पर बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों पूरा करने में जुटे थे। जल संसाधन विभाग के कई इंजीनियर्स कोरोना पॉजिटिव भी हो गए थे। इसके बावजूद बाढ़ सुरक्षा को लेकर वह एक्टिव रहे।
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