कचरे के ढेर से पटना में बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा है। यह खतरा सफाई कर्मियों की हड़ताल से हुआ है। शहर में हर 10 कदम पर 6 दिनों से सड़ रहे कचरे में बैक्टीरिया तैयार हो रहे हैं। जानवर कैरियर बनकर संक्रमण पूरे शहर में फैला रहे हैं। 6 दिनों में हवा से लेकर पानी तक सब प्रदूषित हो रहा है। बैक्टीरिया से जहां शहर में महामारी फैलने का बड़ा खतरा है, वहीं कचरे की लीचिंग से अंडर ग्राउंड वाटर भी प्रदूषित होने का डर है। सफाई कर्मियों के हड़ताल को सरकार हल्के में ले रही है लेकिन भास्कर की पड़ताल में बड़ा खुलासा हुआ है।
शहर में हर 10 कदम पर कचरा ही कचरा
शहर में हर 10 कदम पर कचरा ही कचरा है। बारिश से कचरा सड़ रहा है। कचरे में खाने-पीने के सामान के कारण वहां जानवर जुटे हुए हैं। बारिश होने से कचरा से दुर्गंध निकल रहा है। पटना पुलिस लाइन, छज्जू बाग, बोरिंग राेड, कैनाल रोड और बाकरगंज के पास कचरे का ढेर है। बिहार की दवा की सबसे बड़ी मंडी GM रोड में कचरा सड़क पर काफी दूर तक फैला हुआ है। दवा किंग मेडिकल स्टोर के सामने तो पूरी सड़क ही कचरे से पट गई है। यहां आने जाने वालों के जूते चप्पल से कचरा इधर-उधर फैल रहा है। पाटलिपुत्रा कॉलोनी, राजीवनगर, कंकड़बाग जैसी दर्जनों बड़ी कॉलोनियों में कचरा फैला पड़ा है।
जहरीली गैस के साथ ऑक्साइड का खतरा
पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय के DSW और रसायन शास्त्र के एक्सपर्ट डॉ ए के नाग का कहना है कि एक जगह पर कचरा जमा होकर पानी के साथ मिक्स होना बड़ा खतरा है। इससे गैस के साथ ऑक्साइड का खतरा है। यह हवा और पानी के लिए जहर का काम करते हैं। इसी से इंसान और पशुओं का जीवन है। डॉ ए के नाग का कहना है कि गीला कचरा और सूखा कचरा अलग रखने का नियम भी ऐसे खतरे से बचाव को लेकर ही बनाया गया है। अगर इसमें लापरवाही हो रही है तो यह निश्वित तौर पर बड़ा खतरा है।
कचरा से यह बड़ा खतरा
- कचरे से मिथेन गैस का उत्सर्जन होता है।
- सल्फर के ऑक्साइड निकलते हैं।
- फास्फोरस के ऑक्साइड निकलते हैं।
- नाइट्रोजन के ऑक्साइड भी निकलते हैं।
- हाईड्रोजन सल्फाइड का भी बड़ा खतरा है।
- हेवी मेटेल्स, मर्करी, लेड, कैडमियम आर्सेनिक का खतरा।
कचरे में बैक्टीरिया तेजी से करेगा ग्रो
पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय के DSW डॉ ए के नाग कचरे के खतरे को लेकर बताते हें कि इससे वायु प्रदूषण के साथ बैक्टीरिया ग्रो करने का बड़ा खतरा है। बैक्टीरया का कैरियर बनकर जानवर इसे फैलाने का काम करते हैं। इसके साथ ही माइक्रो बैक्टीरिया इधर-उधर भी फैल जाते हैं। बैक्टीरिया बढ़ने से वातावरण शुद्ध नहीं रहता है। बैक्टीरिया को पनपने के लिए कचरे पर बरसात का पानी काफी सहायक हो रहा है। बैक्टीरिया कई तरह से हार्मफुल हैं। यह कई गंभीर बीमारियों को जन्म देने वाले होते हैं।
कचरा जल को बनाएगा जहर
डॉ ए के नाग का कहना है कि कचरा जमा होता है, उससे लीचिंग का बड़ा खतरा होता है। इससे कचरा से निकलने वाले पानी का रिसाव जमीन के अंदर तक होता है। अगर अधिक समय तक कचरा एक स्थान पर पड़ा रहता है तो यह रिसकर अंडर ग्रांउड वाटर से मिल जाता है। इससे अंडर ग्राउंड वाटर के प्रदूषित होने का खतरा रहता है। जमीन पानी सोखता है जिससे खतरा अधिक होता है। अगर यह ग्राउंड वाटर को टच करता है तो संकट है। यही कारण है कि इसे डंपिंग यार्ड में रखते हैं, इसमें जमीन ऐसी तैयार की जाती है जिससे अंडर ग्राउंड वाटर पर इसका असर न पड़े। कचरे से लीचिंग नहीं हो इसके लिए पूरी तैयारी की जाती है।
12 से अधिक बीमारियों का खतरा
शहर में 6 दिनों से कचरा डंप होने से इंसानाें के साथ जनवरों के भी बीमार होने का बड़ा खतरा है। इसमें 12 से अधिक बीमारियों का खतरा है। फिजिशियन डॉ राणा एस पी सिंह का कहना है कि इससे टाइफाइड, पीलिया, डायरिया, आंखों का इंफेक्शन के साथ फेफड़े का इंफेक्शन, एलर्जी के साथ चर्म रोग के गंभीर संक्रमण हो सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे माहौल में हमेशा मास्क लगाकर चलना है और सुरक्षा बाहरी फूड नहीं खाना है। खुले में बिकने वाले सामानों का सेवन नहीं करें, बच्चों को लेकर विशेष सावधानी बरतें।
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