
बिहार में शराबबंदी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सपना है। लेकिन इसमें पलीता लगाने के लिए उनके पूर्व सहयोगी ही मैदान में उतर गये हैं। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी के कई नेता पहले ही शराबबंदी नीति की समीक्षा की बात कह चुके हैं। अब नीतीश सरकार में विभागीय मंत्री रहे जमशेद अशरफ ने ही शराबबंदी की समीक्षा की बात कहकर लालू यादव की लाइन को सपोर्ट कर दिया है। पूर्व आबकारी मंत्री का कहना है कि शराबबंदी से राज्य के बच्चों के हाथ मे किताब की जगह शराब की बोतलें आ गयी हैं।
पूर्व मंत्री जमशेद अशरफ ने यह भी बताया कि शराबबंदी लागू किये जाने के बाद राज्य सरकार की आय में भारी नुकसान हो गया है। एक अनुमान के अनुसार लगभग चालीस हजार करोड़ राजस्व की क्षति हो रही है। बिहार जैसे एक गरीब राज्य के विकास में यह नीति बड़ी बाधा उत्पन्न कर रही है।
शराबबंदी के कारण सरकार को राजस्व की प्राप्ति ना हो रही है लेकिन कारोबार चल रहा है इसलिए एक बड़ी रकम शराब माफिया के हाथो में जा रही है।
पूर्व मंत्री अशरफ ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति के पीछे शराबबंदी का बड़ा हाथ है। राज्य में अपराध का ग्राफ काफी बढ़ गया है क्योंकि पुलिस शराब पीने और बेचने वालों को पकड़ने में लगी है। पिछले कुछ दिनों में जहरीली शराब पीकर मौत के कई हादसे हुए हैं। पुलिस वाले उन कांडों को सुलझाने में लगे हैं और अपराधी इसका फायदा उठा रहे हैं।
सरकार के आदेश पर राज्य के चौक-चौराहे और गली-गली में शराब की दुकानें खोल दी गई थी। लेकिन आज वही जमशेद अशरफ ने शराबबंदीकानून के समीक्षा की बात कही है.
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