बिहार के सबसे बड़े अस्पताल PMCH का शिशु वार्ड फुल है। हाजीपुर सदर अस्पताल से आए 8 माह के मासूम को 15 घंटे से बेड नहीं मिला है। शिशु वार्ड की इमरजेंसी में शनिवार की रात 12 बजे पहुंचे परिजनों ने बहुत कोशिश की, लेकिन रविवार दोपहर 3 बजे तक बेड नहीं मिल पाया है। बिहार में वायरल के कहर के बीच PMCH में मरीजों की हालत खराब है। सरकारी दावा है कि इलाज की पूरी व्यवस्था है, लेकिन जांच से लेकर दवा तक बाहर से लानी पड़ रही है।
मौत के बाद भी खाली नहीं हुआ बेड
पटना मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग में 24 घंटे में एक मासूम की मौत हो गई। 2 माह के जिस मासूम की PMCH में मौत हुई वह बरौना का रहने वाला था। दो माह के टुनटुन के पिता जगत का कहना है कि बच्चा बुखार से पीड़ित था। उसने शनिवार की रात इमरजेंसी में दम तोड़ दिया। इसके बाद भी इमरजेंसी में मासूमों की भीड़ है। रविवार को भी बच्चों को लेकर पहुंचने वाले लोगों को एंबुलेंस में ही इंतजार करना पड़ रहा था।
अस्पतालों में दवा और जांच नहीं
बुखार से पीड़ित बच्चे को PMCH में भर्ती कराने वाले ओम प्रकाश का कहना है कि बच्चे की जांच और दवा सब बाहर की हो रही है। अस्पताल से कुछ ही दवा और जांच में मदद मिल रही है। ओम प्रकाश का कहना है कि बच्चे को झटका आ रहा है और वह 3 दिनों से लेकर उसे भर्ती हैं। आरोप है कि अस्पताल से दवा नहीं मिल रही है। इसके बाद भी समस्या आ रही है। ऐसे दर्जनों मरीज है जिनका आरोप है कि दवाएं अस्पताल से नहीं मिल रही हैं और जांच के लिए भी बाहर का रास्ता दिखाया जाता है। मासूमों के परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर भी समय पर नहीं आ रहे हैं। रात में तो नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ देखने नहीं आते।
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