इस बार गणेश चतुर्थी के अवसर पर पटना के गणपति भी क्रिकेट खेलते दिख रहे हैं। गणपति की यह खूबसूरत मूर्ति बनाई है पिंटू प्रसाद ने। वे उपेन्द्र महारथी शिल्प संस्थान में सिरेमिक आर्ट सिखाते हैं। उन्होंने पहले भी गणेश की मोबाइल से सेल्फी लेते हुई मूर्ति बनाई थी। नई मूर्ति में गणपति पैरों में पैड पहनकर, टीशर्ट में दिख रहे हैं और बल्ले से शॉट लगाने की स्टाइल में हैं। सामने से उनकी सवारी चूहा बॉलिंग कर रहा है।
नेशनल मेरिट अवार्ड देने की घोषणा
इस मूर्ति में पिंटू प्रसाद ने रंगों का भी खूबसूरत चयन किया है। हाल ही में इन्हें 14 अगस्त को वस्त्र मंत्रालय की ओर से हस्तशिल्प कलाओं के लिए वर्ष 2018 का नेशनल मेरिट अवार्ड देने की घोषणा हुई है। अवार्ड के साथ 75 हजार रुपए भी दिए जाएंगे। पिंटू प्रसाद को यह पुरस्कार देने की घोषणा उनकी कृति नृत्य करते बाल गणेश के लिए की गई है।गणेश की मूर्तियां क्यों बनाने लगे
पिंटू प्रसाद कहते हैं कि मूर्तिकला के लिए मुझे जितने अवार्ड मिले हैं उनमें आधे गणेश की मूर्ति बनाने के लिए ही मिले हैं। खटिया पर आराम फरमाते गणेश की मूर्तियां इन्होंने सीरीज में बनाई थी जिसे काफी सराहा गया। गणेश की मूर्तियां बनाने का मन कैसे बना इस सवाल पर वे कहते हैं, ‘2014 में उपेन्द्र महारथी शिल्प संस्थान में कॉम्पीटिशन का आयोजन था। उसमें मैंने भगवान
बुद्ध का स्कल्पचर बनाया। हालांकि, मेरा चयन स्टेट अवार्ड के लिए नहीं हो पाया’।
अगले साल 2015 में खटिया पर आराम फरमाते हुए गणेश की मूर्ति बनायी और इस मूर्ति से मेरा चयन स्टेट अवार्ड के लिए हो गया। उसके बाद लोग मुझसे गणेश की मूर्ति बनाने की मांग करने लगे। वे कहते हैं कि अब तक गणेश जी की सौ से ज्यादा मूर्ति बना चुके हैं। पिंटू प्रसाद को गणपति की मूर्तियों को अलग पहचान दी है।
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