बिहार NDA में अंदरूनी द्वंद्व लगातार जारी है। कभी देवीलाल चौधरी की जयंती को लेकर तो कभी रामविलास पासवान तो कभी थर्ड फ्रंट को लेकर। BJP के तरफ से कुछ कुछ ऐसी बातें कह दी जा रही हैं जो नीतीश कुमार को पसंद न हो। JDU की तरफ से ऐसी कवायद कर दी जा रही है जो BJP को नागवार गुजर रही है। इसके बीच में बिहार की सरकार चल तो जरूर रही है लेकिन बयानबाजी में तल्खी देखी जा रही है। नया मामला सुशील कुमार मोदी ने शुरू किया है।
सुशील मोदी ने दिवंगत रामविलास पासवान की आदमकद प्रतिमा और उनकी पुण्यतिथि और जयंती पर राजकीय समारोह करने की मांग कर दी है। सुशील मोदी भली-भांति जानते हैं कि नीतीश कुमार रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान को बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी नीतीश कुमार को लेटर लिखकर रामविलास पासवान की आदमकद प्रतिमा बनवाने की मांग की थी।
कभी नीतीश कुमार की हां में हां मिलाने वाले सुशील मोदी जब से राज्यसभा सांसद बने हैं, तब से उनके तेवर बदले बदले नजर आते हैं। कई मौकों पर उन्होंने बिहार सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस बार भी सुशील मोदी ने नीतीश कुमार के सामने असमंजस की स्थिति लाकर खड़ी कर दी है। कहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बिहार के विकास और राष्ट्रीय राजनीति में जो बड़ी भूमिका निभाई, उसे देखते हुए पटना में उनकी प्रतिमा लगनी चाहिए। उन्होंने दलितों को आगे बढाने के लिए लगातार संघर्ष किया, लेकिन कभी नफरत की राजनीति नहीं की।
विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान की वजह से JDU ने काफी कम सीटें पाई
सुशील मोदी ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा है कि रामविलास पासवान NDA राजनीति के प्रमुख शिल्पी थे। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकारों में रह कर देश की सेवा की। रेल मंत्री के रूप में उनके योगदान को बिहार कभी नहीं भुला सकता। 1977 में आपातकाल हटने के बाद पहले संसदीय चुनाव में रामविलास पासवान ने सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीतने का रिकार्ड बनाया था। ऐसे लोकप्रिय नेता की पहली बरसी पर सभी दलों और वर्गों के लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
दरअसल, सुशील मोदी यह जानते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान की वजह से JDU ने काफी कम सीटें पाई और इसकी कसक नीतीश कुमार को है। फिर सवाल उठता है कि सुशील मोदी इस तरह के बयान क्यों दे रहे हैं? सियासी जानकार बताते हैं कि बिहार में इस वक्त दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की होड़ मची हुई है। खासकर से लोजपा में टूट के बाद। यही कारण है कि तेजस्वी के बाद सुशील मोदी ने भी रामविलास पासवान की प्रतिमा लगवाने और जयंती पर छु्ट्टी की मांग की है।
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